अपना कौन है इस जमाने मे ,
हर एक बुरा है किसी फ़साने मे ,
यू तो लोग है बहुत इस जहान मे पर...
सब लगे है जलते दीपक को बुझाने मे,
खुशी की कामना भी बेकार है,
सब तो लगे है दिल दुखाने मे ,
जब किसी के सुर ही खराब है
तो क्या फायदा उसे गवाने मे ,
जो समझना ही नही चाह्ता ,
क्या फायदा उसे प्यार जताने मे ,
मोल इन्सान का नही पैसे का है ,
सभी लगे है गुलाबी नोट कमाने मे ,
शरीर अंदर से गन्दा है
तो क्या फायदा नहाने मे ,
मोहित हो जाते है लोग झूठी शान देखकर ,
पर उम्र बीत जाती है इज्जत कमाने मे,
Nice post thank you Elizabeth
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