ॐ॰॥ दोहा ॥॰ॐ
- बिना सुने भी ना सुना, कन सुन हो विशवास, मरते न सहारा मिले, तिनके पर हो आस,
- झूठ सुन हुआ बावरा, सच सुन पडा अकाल, ज्यादा करना ना पड़े, न कल पर उसे टाल,
- प्रेम रोग भी लग गयो, न जाने प्रेम सार, एक देख दुजे को लगै, ना हुआ कभी पार,
- प्रेम ढूँढने तु चलो, मिलो हवसी संसार, जै प्रेम मिलो तेरको, क्या सच है वो प्यार,
- रंग रुप बरस ढल गयो, ज्ञान ही जय कहाव, काम बाद ना भाव ना, डूब गए हम बहाव,
- झूठ बोले इन्सान तो, धरे रुपम विराल, बिन पैसे तो काम क्या, जरुरत पड़े काल,
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