कौन कहता है वो छोड़ गया मुझको
अब भी मिलने मुझसे वो ख्वाबों में आता है
आ जाता है आंगन में बारिश बन कभी
कभी वो अश्क़ बनके आंखों में आता है
जब भी लगती है बेमानी सी ज़िन्दगी
मुझे जीने के नए मायने बताता है
जब भी देखती हूँ वो ख़त उसके
वो भी मुझे देखकर मुस्कुराता है
जहाँ से जहाँ तक दौड़ती है अब नज़र मेरी
नज़ारा-ए-वफ़ा उसका ही बस नज़र आता है
कौन कहता है वो छोड़ गया मुझको
अब भी मिलने मुझसे वो ख्वाबों में आता है
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