7 मार्च 2020

वक़्त

तू वक़्त है, पता है,
बीत जाएगा,
आज दिख तो रहा है,
पर कल,
नज़र भी न आएगा।।

फिर भी,
ढूंढेंगे तुम्हे, इसी जगह,
जहां मेरे लिए अंधियारा है।
उसे देखने को, उजाले की क्या ज़रूरत, 
जो जान से भी प्यारा है।।

संभालेंगे खुद को,
जिम्मेदारियों के बहाने से।
कुछ यादें चुरा लाएंगे,
गुजरे लम्हो के ठिकाने से।।

अब शायद वो मौसम ना आएगा,
जिसपर वसन्त की बहार होगी।
मेरे और आह्लाद के बीच,
एक मोटी दीवार होगी।।

लेकिन फिक्र न करना,

तेरी तस्वीर पर हस्ता तेरा चेहरा,
मेरी आज की हकीकत झुठलायेगा।
तेरा एक पल को, मेरे पास आना
'नित' मेरा मन बहलाएगा।।

तू वक़्त है, पता है,
बीत जाएगा,
आज दिख तो रहा है,
पर कल,
नज़र भी न आएगा।।

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