राही हुँ थोडा चलने पर एक नया मोड आ जाता है ,
हर मोड पर जिन्दगी का नया मखौल आ जाता है ,
पतझड आते ही वो हर टहनी का पत्ता झड़ जाता है ,
वक़्त पे अच्छे से अच्छे इन्सान का रुख मुड़ जाता है ,
कभी-कभी यू ही अनजाने मे भी दिल जुड़ जाता है ,
वो दिल ऐसे जुड जाता है ना कभी वो दूर जाता है,
सुन्दरता का क्या एक दिन सुरत का भी नूर जाता है ,
अक्श हो कैसा भी पर इन्सान फिर भी घुर जाता है ,
लगातर करे महनत वक़्त se कोई वो मशहूर हो जाता है
ठुकराए जो वक़्त को उसी के हाथो मजबुर होजाता है,
एक बार ठोकर लगने पर इन्सान चतुर हो जाता है ,
कभी कभी एक जिन्दा इन्सान भी तस्व्वुर हो जाता है ,
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