23 अग॰ 2022

मेरी बगिया

 मेरी बगिया में रोज़ कितने मुसाफिर आते हैं,

कुछ डरते हैं फूलों को हाथ लगाने से,
और कुछ गलियारा ही तोड़ ले जाते हैं,
अपने आते हैं पराये भी आते हैं,
कुछ को काँटें चुभते हैं,
कुछ हमें दे जाते हैं,
कोई महक पे फिदा हो जाता है,
कोई रंगों पर मोह जाता है,
किसी की पसंद गुलाब हैं,
कमल कहाँ किसी को भाता है,
कोई फूल तोड़ने से डरता है,
कोई कातिल यूँ ज़ुल्म करता है,
एक एक पंखुड़ी धड़ से अलग कर,
मापता है मेरी सहनशीलता को,
या हाँ या न की गिनती करता है,
कोई मुसाफिर राखी करता है,
फूल तोड़ने से डरता है,
कोई घर समझ कर आता है,
कोई जीते जी बंजर करता है,

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