20 मई 2020

*कोरोना का असामान्य समय*

सहमी सी ये धड़कने , हवा सी ये बातें ,
काले आतंक में बीतती हुई ये रातें।
स्वच्छ्ता हथियार ले खड़े हम हर दिन,
हम चले , हम चले इसे हराने हर दिन।
सहमी सी ये धड़कने , हवा सी ये बातें ,
काले आतंक में बीतती हुई ये रातें।
इस चुप्पी के बीच आ ले चलूँ तुझे एक ऐसे मोड़ पर ,
जहाँ हैं उम्मीदों के ये पन्ने, आ ले चलूँ तुझे इस मोड़ पर।
सहमी सी ये हवाएँ , बीतती सी ये रातें ,
मकां के भीतर होती एक सी बातें।
सीख गई हंसना ये आंखे,
नमी के बीच आंखो देख नज़र मिलाती ये आंखे ।

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