20 मई 2020

नफरत करना मुझको सीखा दो

इश्क करना तो हम खुद-ब-खुद सीख गये,
कोई नफरत करना सीखा दो,
याद तो वो हर पल रहते है
कोई भूलना बता दो,
कुछ भी बोलूं तो नाम जुबां पे उसका ही आ जाता है,
नाम लिए बिन उसका कोई मेरे घर का पता बता दो,
अब ये रातें इतनी लम्बी होंगी,
इन दो आँखों से कितना चाँद निहारूंगां
मै दिन मे भी सोता नही,
नींद आती है कैसे कोई बस इतना मुझको बता दो,
मै 'हो' कहूं तो 'होंठ' उसके,
मै 'आ' कहूं तो 'आँखें' उसकी,
मै 'गा' कहूं तो 'गाल' उसके,
मै 'बा' कहूं तो बाल उसके,
मै 'स' कहूं तो सूरत उसकी,
मै क्या बोलूं जिसमें वो ना आये,
कोई एैसा अक्षर मुझको बता दो।
इश्क करना तो सिख गये,
कोई नफरत करना मुझको सीखा दो।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें