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23 अग॰ 2022

मेरी बगिया

 मेरी बगिया में रोज़ कितने मुसाफिर आते हैं,

कुछ डरते हैं फूलों को हाथ लगाने से,
और कुछ गलियारा ही तोड़ ले जाते हैं,
अपने आते हैं पराये भी आते हैं,
कुछ को काँटें चुभते हैं,
कुछ हमें दे जाते हैं,
कोई महक पे फिदा हो जाता है,
कोई रंगों पर मोह जाता है,
किसी की पसंद गुलाब हैं,
कमल कहाँ किसी को भाता है,
कोई फूल तोड़ने से डरता है,
कोई कातिल यूँ ज़ुल्म करता है,
एक एक पंखुड़ी धड़ से अलग कर,
मापता है मेरी सहनशीलता को,
या हाँ या न की गिनती करता है,
कोई मुसाफिर राखी करता है,
फूल तोड़ने से डरता है,
कोई घर समझ कर आता है,
कोई जीते जी बंजर करता है,

दिल के दर्द

 मुँह की बात सुने हर कोई

दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन।

सदियों-सदियों वही तमाशा
रस्ता-रस्ता लम्बी खोज लेकिन
जब हम मिल जाते हैं
खो जाता है जाने कौन।

जाने क्या-क्या बोल रहा था
सरहद, प्यार, किताबें, ख़ून
कल मेरी नींदों में छुपकर
जाग रहा था जाने कौन।

मैं उसकी परछाईं हूँ या
वो मेरा आईना है
मेरे ही घर में रहता है
मेरे जैसा जाने कौन।

किरन-किरन अलसाता सूरज
पलक-पलक खुलती नींदें
धीमे-धीमे बिखर रहा है
ज़र्रा-ज़र्रा जाने कौन।

इश्क़

 इश्क़ है, या है ख़ालिस अदाकारियाँ ?

सब समझती है जी,आज की लड़कियाँ !!

गुफ्तगू कीजिए , या ज़ुबाँ रखिए बंद
बोलते पर रहिए, आँखों की बोलियाँ !!

क्या ज़रूरत मुझे गुल और गुलाबों की
फूल खुशबू, तुम्हीं मेरी फुल-वारियाँ !!

दौर,क़ासिद-क़लम का मुकम्मल हुआ
इस जगह आ गई हाथों की उँगलियाँ !!

बागबाँ मेरे दिल का जुदा जब हुआ ?
साथ अपने ले गया मेरी किलकारियाँ !!

गुस्ताख़-ए-लोकतंत्र की क्या सजा

 थाली में तीन रोटी ली, कटोरी में ली सब्जी

रात का वक़्त, टी वी ऑन किया, बैठ गया
और लगा लिया मेरा पसंदीदा ndtv इंडिया
क्योंकि वंहा शोर शराबा थोड़ा कम रहता है

पुलिस जेल बंद लड़को को लाठियो से कूट रही थी
लड़के मिमियां रहे थे, चीख रहे थे चिल्ला रहे थे
कैमरे के सामने लड़कों की माएँ बिलख रही थी
एंकर नगमा शहर ने बताया फिर मामला समझाया

ये वही लड़के थे जो सड़को पर पत्थर चला रहे थे
तथाकथित प्रदर्शन के नाम पर उपद्रव फैला रहे थे
"गुस्ताख़ ए रसूल की एक सजा सर तन से जुदा
सर तन से जुदा" कितना कवितामय पंक्ति है ये
सड़को पर दोहरा रहे थे

कुटे गए बेचारे, कोई अपना टूटा हाथ दिखा रो रहा
कोई यूँ ही रहा था बिलख, किसी की लाल थी खाल

जो हुआ बुरा हुआ गलत हुआ, पुलिस का ये कोई काम नही
ये कोई गंगाजल फ़िल्म की शूटिंग नही, और ये पुलिस वो यादव नही
ये कोई जज नही, सजा सुनाना इनका काम नही
और ये मालूम है मुझे की वे भी इस बात से अनजान नही

जो हुआ, गलत हुआ, दोनों ने किया, वो गलत किया

लेकिन मेरा प्रश्न बस इतना है,
मैंने जितना भी जाना है, मैंने जितना भी पढ़ा है
कभी भी भारत की ऐसी संस्कृति रही नही
यंहा बुद्ध हुए महावीर हुए नानक हुए कबीर हुए
और न जाने कितने ही बुद्धि के वीर हुए

इन्होंने कितने ही विचारों का खंडन किया
कई प्रथाओं का उनके तन से मुंडन किया
अपने विचारों का इस जग में गुंजन किया
अपनी शिक्षाओं का यंहा पर मंचन किया

लोगो ने देखा परखा, विचार किया
जिन्हें समझ न आया आगे बढ़े, जिन्होंने समझा, स्वीकार किया
यँहा राम आज भी ताने सुनते हैं,
कृष्ण को आज भी उलाहने दिए जाते हैं

एक ऐसे भारत मे, "सर तन से जुदा" जैसे नारे कँहा से आये
किसने है बहकाया, कँहा से बहक के है ये आये

किसी ने कुछ गलत कहा तो तर्क करो, वितर्क करो
ये क्या बात हो गयी," सर तन से जुदा, सर तन से जुदा"
एक लोकतंत्र में ऐसा कहना लोकतंत्र की आत्मा के है खिलाफ
अगर कुछ गलत किया किसी ने तो रास्ते तो है उसके
उसको अपनाओ, नाराजगी है, ठीक है, शौक जताओ
लेकिन उपद्रव करना सही नही, किसी की हत्या का बयान देना सही नही

जब हाथ टूटी, दर्द हुआ न, जिस्म लाल हुआ, दर्द हुआ न,
तुम्हारे दर्द से तुम्हारे घरवाले रोये न,
तो फिर यही सब दुसरो के लिए कैसे सोच सकते हो
किसने इतना ज़हर भर दिया तुम्हारे भीतर

अगर गुस्ताख़ ए रसूल की सजा, सर तन से जुदा है
फिर गुस्ताख़ ए लोकतंत्र, गुस्ताख़ ए संविधान कि सजा क्या?

21 अक्तू॰ 2021

मैं बहुत जल्दी बड़ा हुआ

 मैं बहुत जल्दी बड़ा हुआ

अपने पाँव पे खड़ा हुआ

क़दम उठा के चलने लगा

अपना काम खुद करने लगा

ग़रीबी में परवरिश हुई

सो पढ़ाई भी मिस हुई

मैं बहुत जल्दी बड़ा हुआ

भाई की उम्र में भैया हुआ

दूध के दांत टूटे शहरों में

खूब छाले पड़े पैरों में

तिफ़्ली में दर्द की आमेज़िश हुई

और जिम्मेदारी की बंदिश हुई

मैं बहुत जल्दी बड़ा हुआ

अपने पाँव पे खड़ा हुआ



1 सित॰ 2021

"मेरा सफर अधूरा है"

 "मेरा सफर अधूरा है"
मोह नहीं तरु-छाया का,यह धूप भली अब लगती है
क्यों शांत करुं इस अग्नी को,यह भूख भली अब लगती है,
भली है लगती यह तृष्णा,जिसके कारण हूँ जाग रहा
भली है लगती हर विपदा,जिससे अब तक था भाग रहा
हैं शूल भले ये पथ के सब, है भली ये निंदा हर पल की
है धूल भली ये चेहरे पर, तकदीर लिखेगी जो कल की
अब भान हुआ निज गौरव का,अस्तित्व हुआ अब पूरा है
अभी ऋण है बाकी जीवन का,अभी मेरा सफर अधूरा है

कृष्ण परिचय

वो गोकुल का ग्वाला

वो माखनचोर निराला
दुनिया के पग पग पर
अपनी माया रचने वाला

वो वृंदावन का वासी
वो मथुरा का लाडला
अपनी बंसी की धुन में
गोपियों को नचाने वाला

वो कारागार में उत्पन्न
वो देवकी, वासुदेवलाला
जिसको जन्म से ही
माता यशोदा ने पाला

गोपियों से प्रेम करके
वियोग में तड़पाने वाला
राधा को छोड़कर
वो कभी ना आने वाला

सुदामा सखा वो काला
वो बाबा नंद का लाला
बंसी की मीठी धुन पर
नचाने वाला बाँसुरीवाला

वो रणछोर वो कपटी
धर्म जिताने छल करने वाला
जीवन जीने के लिए
गीता उपदेश देने वाला

वो अर्जुन का सारथी
वो सुदर्शन चक्र वाला
बिना हथियार उठाये
युद्ध को जिताने वाला

आठवाँ अवतार विष्णु का
धर्मरक्षक मोहन प्यारा
वो श्री कृष्ण वासुदेव
है जगत का पालनहारा....