हूँ जो इस अंजुमन में, वजह तुम हो
क्या जाने ज़माना, मेरे दिल का हिस्सा तुम हो
तुम्हीं से शाम मेरी, सुभा तुम ही हो
इस आन्हें भर्ती साँसों की, बाद-ए-सबा तुम हो
हर ज़र्रे में पाया है मैंने तुम्हें
क्या बताऊँ कहाँ, किस जगा तुम हो
लफ़्ज़ों ने साथ न दिया, तो कलम उठाई मैंने
किस कदर मेरे ज़हन में रवाँ तुम हो
संग जीना नसीब न हो, तो मरन ही सही
मैं इक परवाना हूँ, शमा तुम हो
हूँ जो इस अंजुमन में वजह तुम हो
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