देना ही था तो सज़ा देते — बेवफ़ाई क्यू दी
ज़िन्दगी कम थी तो मौत देते जुदाई क्यों दी
ये सब तोहमते जिल्लते बदनामी यार क्या है
मोहब्बत मे इज्ज़त मांगी थी रुसवाई क्यों दी
हम तो कैद होने आए थे तेरे इश्क में हमदम
बांहे अपनी खोल के तुने हमें रिहाई क्यों दी
तेरी मोहब्बत तो सिर्फ नज़रों का धोखा था
फिर इस रिश्ते में हमें सच्चाई दिखाई क्यों दी
तेरे होने से हि लगती थी हर महफ़िल मुक्कमल
हमसे जुड़ा हर धागा तोड़ कर तन्हाई क्यों दी
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