तारों से भरे आसमां के नीचे;
जब जमी तुम्हे और पास खींचे,
तुम उठना चाहो, उसे छूना चाहो;
पर चाह कर भी कुछ ना कर पाओ।
तुम आगे बढ़ना चाहो;
लेकिन सब कुछ तुम्हे पीछे खींचे।
हताश तुम निराश तुम;
अब क्या करूं? तुम इसपे घबराओ,
चाह कर भी तुम कुछ ना कर पाओ।
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