7 मार्च 2020

माँ

आज माँ से मिला और बच्चों सा फूट फूट के रोया हूँ मै,
उसकी गोद मे फिर सर रख के सोया हूँ मै,
सारे मसले दूनिया दारी के भूल भाल के
फिर से चैन कि नींद सोया हूँ मै।

मुश्किलों कि दोपहरी से मिले जो छाले थे दिल पर,
माँ ने स्नेह के बर्फ से धोया है,
जग ने जो काँटें फेकें थे
चुभे जो मेरे पांव मे थे,
पल भर मे माँ ने निकाला है।

माँ कि गोद वो पिंजरा है
हर पंक्षी इसमे रहना चाहे,
उची उड़ानों से क्या लेना
जब माँ कि गोद बसेरा है।

मै ईश्वर से उपर क्यों ना रखूं,
ईश्वर भी मांगें भक्ति है,
मोल न मांगा माँ ने कभी।

वो कभी नही थकती है,
मै मंदिर जाने से पहले 
क्यों ना माँ के चरणों मे गिर जाऊं,
माँ ही आदिशक्ति है।

आज माँ से मिला और बच्चों सा फूट फूट के रोया हूँ,
जग मे माँ ही याद दिलाती है,
मैं अब भी बच्चा हूँ।

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