मेरी बगिया में रोज़ कितने मुसाफिर आते हैं, कुछ डरते हैं फूलों को हाथ लगाने से, और कुछ गलियारा ही तोड़ ले जाते हैं, अपने आते हैं पराये भी आ...
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